श्रीकृष्ण नें कालियानाग का मर्दन कर यमुना को किया निर्मल





ईसानगर-खीरी। तुलसीदास की रचनास्थली रामवाटिका धाम में चल रही शतचंडी महायज्ञ में आज पुरोहितों नें यज्ञ आहुतियाँ डलवाकर जनकल्याण की कामना की। वही रात्रि में वृन्दावन के कलाकारों नें कृष्ण की बाललीलाओं में कालियानाग के मान मर्दन की कथा का सजीव मंचन कर दर्शकों का मन मोह लिया।

व्यास देवेन्द्र जी के सुरीले आवाज में गाये भजनो ने भक्तो को ठूठुरने पर मजबूर कर दिया। रामवाटिका में चल रही शतचंडी महायज्ञ एवं रासलीला में वृन्दावन के कलाकारों नें भगवान श्री कृष्ण की बाललीलाओं का सजीव मंचन किया। जिसमें दिखाया कि गाये चराने गये ग्वाल बाल गाय चराते यमुना नदी के किनारे कालीदह पर पहुँचें तो कुछ गाये पानी पीने लगीं। पानी पीते ही गाये मर गयी। ग्वालों नें सूचना नंदबाबा को दी तो बाबा चिंतित हो उठे।

दूसरें दिन श्री कृष्ण गेंद खेलने अपने साथियों के साथ जमुना किनारे कालीदाह पर पहुँचे और जानबूझकर गेंद यमुना में फेंक दी। गेंद लाने की जिद साथी मनसुखा नें की तो भगवान कृष्ण कालीदह में कूद गये। वहाँ सो रहा कालियानाग जगाकर उससे युध्द कर हराया। इधर नंद बाबा यशोदा सहित सभी ग्वालबाल रो रहें थे उधर श्रीकृष्ण कालियानाग के फनों पर नृत्य करते मुरली बजाते यमुना के बाहर दिखायी दिये।

कालियानाग को यमुना नदी छोड़कर जाने को कहा। इस तरह भगवान कृष्ण नें यमुना को बिष मुक्त कर निर्मल किया। चारों ओर श्री कृष्ण का जयघोष होने लगा। इस अवसर पर यज्ञ व्यवस्थापक आढती भगवती प्रसाद अग्रवाल समलिया प्रसाद मिश्र रामकुमार शर्मा सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

ईसानगर से एकलव्य पाठक की रिपोर्ट

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