हाथियों की धमक से थर्रा उठे ग्रामीण





लखीमपुर-खीरी। जनपद खीरी के पलियाकलां क्षेत्र मे कुछ दिनों तक शांत रहने के बाद एक बार फिर से जंगली हाथियों की धमक से ग्रामीण थर्रा उठे हैं।

 हाथियों से फसल बचाने के लिए ग्रामीण ठंड में भी खेतों में ठहरने को विवश हैं जबकि वन विभाग इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। बीती रात्रि भी जनपद के पलियाकलां क्षेत्र मे जंगल से सटे गांवों में घुसे हाथियों के झुंड ने दर्जनों एकड़ फसल तबाह कर डाली। किसी तरह ग्रामीणों ने हाथियों को जंगल में खदेड़ा। ज्ञात हो कि दुधवा के विशालकाय जंगल से सटे दर्जनों ग्रामों में जंगली पशुओं का आतंक कायम है। कभी बाघ, तेंदुआ गांवों में घुसकर मवेशियों का शिकार करते हैं तो कभी जंगली हाथी पैरों तलें फसलों को रौंद कर किसानों को आर्थिक क्षति पहुंचाते हैं।

इस मामले में वन विभाग मामूली मुआवजा देकर कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है। बीती रात्रि पलिया के ग्राम गजरौरा, देवीपुर, घोला में घुसे हाथियों के झुंड ने गेहूं, गन्ना, लाही की फसलें को पैरों तले रौंद डाला। रात में ही ग्रामीण खेतों की ओर पहुंचे और मशालें जलाकर हाथियों को खदेड़ने का अभियान शुरू हुआ। रात भर दोनों के बीच संघर्ष चलता रहा जिसके बाद हाथी जंगल को लौट गए।

गजरौरा निवासी गुरदेव सिंह, कुलदीप सिंह, वीरपाल सिंह, सुखदेव सिंह ने बताया कि हाथियों ने फसलों को तबाह कर डाला है। जिससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। मामले की सूचना वन विभाग को दे दी गई है, लेकिन देर शाम तक कोई भी अधिकारी या कर्मचारी मौका मुआयना करने तक को नहीं पहुंचा था।

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