लखीमपुर-खीरी। घूसखोरी के साथ साथ जिले की निघासन पुलिस अब पीड़ितो से ही
स्टेशनरी का भी पैसा वसूल करने पर उतारू हो गयी है। यहां पीड़ित जब कोई फरियाद लेकर
आता है तो उससे पहले ही कागज पेन मंगवाते है। उसके बाद ही फरियाद सुनी जाती है
उसके बाद भी कोई गारंटी नही है कि पीड़ित का कोई काम होगा अथवा नही।
यह मामला कई माह से चल रहा है जिसके चलते सूबे के मुखिया के आदेशो की खुले
आम धज्जियाँ उडाई जा रही है। मालूम हो कि सूबे के मुखिया उत्तर प्रदेश को उत्तम
प्रदेश बनाने की जुगत में जुटे हुए हैं तो पुलिस विभाग के मुखिया डीजीपी ने भी
मातहतों को कार्य करने के सख्त निर्देश दिए हैं। फिर भी पीड़ित पुलिस के पास हर
संभव मदद के लिए ही पहुंचता है। चाहे आपसी झगड़ा हो या फिर चोरी की घटना, दुर्घटना,
लूट, डकैती।
अगर ऐसे मामले में आपको कोतवाली निघासन में एफआईआर लिखवाना है तो पहले आप
कागज और कलम की व्यवस्था ही लेकर कोतवाली पहुंचे। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो
रिपोर्ट लिखवाना मुश्किल हो जाएगा। इतने में ही अगर आप का काम हो जाए तो गनीमत की
बात है। नहीं तो पीड़ित को मूंगफली के लिए चाय, पान मसाला की व्यवस्था अलग से करनी
पड़ सकती है। शायद उसके बाद आपकी रिपोर्ट दर्ज हो जाए तो बहुत बड़ी बात है।
पुलिस के उच्च अधिकारियों के भले ही निर्देश हो कि वह पीड़ित के साथ मित्र
पुलिस के जैसा व्यवहार करें लेकिन उनके ही मातहात उनकी किरकिरी कराने में जुटे
हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो कोतवाली में मिलने वाली स्टेशनरी में खेल करने से
मुंशी बाज नहीं आ रहे हैं। किसी भी मामले में पहुंचे पीड़ित से स्टेशनरी की मांग
पहले ही करते है। जबकि पुलिस विभाग को स्टेशनरी पेन पेंसिल रबर आदि तमाम वस्तुओं
को खरीदने के लिए बाकायदा फंड जारी होता है।
कोतवाली पहुंचने वाले पीड़ित से पहले तो सादा कागज पेन की मांग हो जाती है।
अगर कोई लिखने वाला नहीं है तो थाने में तैनात रहने वाले कुछ पुलिस कांस्टेबल ओर
होमगार्ड से प्रार्थना पत्र लिखवाने की बात कहने पर पहले आप उनका भी आप कुछ कल्याण
करें मतलब कुछ तो देना ही पड़ेगा।
आरोप है कोतवाल रिपोर्ट लिखने के लिए मुंशी के पास भेज देते हैं जिसमें
उसे सिर्फ हस्ताक्षर करने होते हैं लेकिन इतना करने के लिए उन्हें स्टेशनरी जरूर
चाहिए, मजबूरी में फंसा पीड़ित रिपोर्ट लिखवाने के आगे इन सब से मना भी नहीं कर
पाता है। थाना स्तर पर आने वाली स्टेशनरी में शिकायतकर्ता को कागज देने का
प्रावधान होता है। उसके बाद भी विभाग शोषण करने में जुटा है।
यह मिलती हैं स्टेशनरी
विभाग के द्वारा मिलने वाली स्टेशनरी में से सादे कागज, रजिस्टर, कार्बन
कॉपी, रिपोर्ट दर्ज करने वाला रजिस्टर, पर्चियां, पेन, पेंसिल, बॉक्स के साथ ही
कोतवाली थाना स्तर पर इस्तेमाल करने वाला सारा सामान प्राप्त कराया जाता है। अगर
सामान नही दिया तो उसका पैसा भी विभाग से मिलता है।
अखिर कहां जाती है स्टेशनरी
विभाग के द्वारा मिलने वाली स्टेशनरी आखिर कहां जाती है समय समय पर
कोतवाली के ही तैनात मुंशी किसी स्टेशनरी की कमी हो जाने पर बाकायदा रिपोर्ट भेज
कर फंड पास करवाते हैं जिसके बाद स्टेशनरी की खरीद भी करते हैं उसके बावजूद भी
आखरी या गड़बड़ झाला क्यों चल रहा है।
विरोध किया तो होगा नुकसान
यदि कोई कोतवाली पहुंचे और मुंशी के द्वारा मांगे गए स्टेशनरी चाय मसाला
ना देने का विरोध कर दिया तो समझो उसकी शामत आ गई। एफआईआर लिखना तो दूर आपको इतना
ज्ञान दे दिया जायेगा कि आप थाना परिसर तो
दूर थाने की ओर देखने की जहमत नहीं उठा पाएंगे। इससे अच्छा तो जो कहे वही सही तभी
होगा आपका काम सही।
क्या कहना हैं विभागीय अधिकारी का
इस संबंध में सीओ निघासन सविरत्न गौतम ने कहा कि इस मामले की अभी तक किसी
ने भी मुझसे शिकायत नहीं की है अगर किसी भी पीड़ित द्वारा शिकायत की गई तो जांच कर
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं प्रभारी निरीक्षक अजय यादव ने बताया कि
इस तरह का कोई मामला मेरे संज्ञान में नहीं है शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
नया सवेरा नई खबर के लिए निघासन से विनोद गुप्ता की विशेष रिपोर्ट
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