दुर्गाष्टमी पर मां के दरबारों मे उमड़ा भक्तों का हुजूम





लखीमपुर-खीरी। शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन नगर के सभी देवी मंदिरों में भक्तों ने नवदुर्गा के आठवें स्वरुप मां दुर्गा की आराधना की। विभिन्न देवी मंदिरों में मां दुर्गा की पूजा अर्चना हेतु भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। दुर्गा अष्टमी के अवसर पर नगर में कई जगहों पर देवी जागरण का आयोजन भी किया गया।

शास्त्रों में बताया गया है कि अत्याचार से तंग आकर देवताओं ने जब ब्रह्माजी से सुना कि दैत्यराज को यह वर प्राप्त है कि उसकी मृत्यु किसी कुंवारी कन्या के हाथ से होगी तो सब देवताओं ने अपने सम्मिलित तेज से मां दुर्गा को प्रकट किया। विभिन्न देवताओं की देह से निकले हुए इस तेज से ही देवी के विभिन्न अंग बने। भगवान शंकर के तेज से देवी का मुख प्रकट हुआ यमराज के तेज से मस्तक के केश विष्णु के तेज से भुजाएं चंद्रमा के तेज से स्तन इंद्र के तेज से कमर वरुण के तेज से जंघा पृथ्वी के तेज से नितंब ब्रह्मा के तेज से चरण सूर्य के तेज से दोनों पौरों की उगलियां प्रजापति के तेज से सारे दांत अग्नि के तेज से दोनों नेत्र संध्या के तेज से भौंहें वायु के तेज से कान तथा अन्य देवताओं के तेज से देवी के भिन्न भिन्न अंग बने फिर शिवजी ने उस महाशक्ति को अपना त्रिशूल दिया लक्ष्मीजी ने कमल का फूल विष्णु ने चक्र अग्नि ने शक्ति बाणों से भरे तरकश प्रजापति ने स्फटिक मणियों की माला वरुण ने दिव्य शंख हनुमानजी ने गदा शेषनागजी ने मणियों से सुशोभित नाग इंद्र ने वज्र भगवान राम ने धनुष वरुण देव ने पाश तीर ब्रह्माजी ने चारों वेद तथा हिमालय पर्वत ने सवारी के लिए सिंह प्रदान किया।

इसके अतिरिक्त समुद्र ने बहुत उज्ज्वल हार कभी फटने वाले दिव्य वस्त्र चूड़ामणि दो कुंडल हाथों के कंगन पैरों के नूपुर तथा अंगूठियां भेंट कीं। इन सब वस्तुओं को देवी ने अपनी अठारह भुजाओं में धारण किया। मां दुर्गा इस सृष्टि की आद्य शक्ति हैं यानी आदि शक्ति हैं। पितामह ब्रह्माजी भगवान विष्णु और भगवान शंकरजी उन्हीं की शक्ति से सृष्टि की उत्पत्ति पालन पोषण और संहार करते हैं।

अन्य देवता भी उन्हीं की शक्ति से शक्तिमान होकर सारे कार्य करते हैं। आज दुर्गाष्टमी के अवसर पर देवी मां की पूजा अर्चना कर उन्हे प्रसन्न करने के लिए सुबह पांच बजे से ही देवी मंदिरो मे भक्तो का तांता लगना शुरु हो गया जो कि देर रात तक लगा रहा।

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