आखिर कहाँ गये पहले लगाये गये वृक्ष ?


मोहम्मदी-खीरी। पिछले कई वर्षो से तथा गत वर्ष भी प्रदेश सरकार के द्वारा एक ही दिन में वृहद वृक्षा रोपण करा कर गीनीज बुक आफ रिकार्ड में नाम दर्ज कराया था। फिर भी पिछले चार वर्षो से इस तराई व जंगल वाले जनपद में फारेस्ट कवर घट रहा है क्यो ? इस गिरावट से चिन्तित सरकार के द्वारा आगामी तीन वर्षो का लक्ष्य र्निधारित कर दिया गया है। जिसमें लगभग ढाई करोड़ पौधे रोपित किये जायेगे। सरकार ने जनपद के वन विभाग के दोनो डिवीजनो को प्रति वर्ष एक करोड़ पांच लाख पौधे रोपित करने के लिये पौध तैयार करने का लक्ष्य दिया गया है। जिसके लिये वन विभाग को बजट भी जारी कर दिया गया है। तो क्या जो हर वर्ष वृहद वृक्षा रोपण के तहत वन विभाग, राजस्व विभाग, विकास विभाग एवं ग्रामसभाओ के द्वारा लाखो पेड़ लगवाये गए क्या वो फर्जी आकड़े थे।
मोहम्मदी तहसील के दोनो ब्लाक क्षेत्रो एवं मोहम्मदी (महेशपुर) वन रेंज की वन भूमि पर वृहद वृक्षा रोपण कराकर लाखो पेड़ लगवाए गये। जिन पर करोड़ो रूपया सिर्फ इसी तहसील क्षेत्र में खर्च किया गया क्या वो सब फर्जी था ? क्या वृक्षा रोपण के नाम पर जिम्मेदारो ने करोड़ो रूपयो का वृक्षा रोपण के नाम पर गबन कर लिया ? ये ऐसे प्रश्न है जिसका उत्तर कोई भी अधिकारी देने को तैयार नहीं है। सरकार के द्वारा हर वर्षा काल में रिकार्ड वृक्षा रोपण कराकर वर्ड रिकार्ड बनाया जा रहा है क्या वो सब फर्जी है। सरकारी आकड़े बताते है कि पिछले चार वर्षो में जनपद भर में जिसमें मोहम्मदी (महेशपुर) वन रेंज भी शामिल है में फारेस्ट कवर (वनावरण) में खासी गिरावट आई है। जिसको देखते हुए सरकार ने बड़े स्तर पर पौधा रोपण कराने का लक्ष्य बना दिया है , जो बीते वर्षो में वृक्षारोपण हुआ वो कहा गया ? मोहम्मदी वन रेंज क्षेत्र की हजारो एकड़ भूमि पर हर वर्ष वर्षा काल शुरू होने से पूर्व सैकड़ो लेवर मनरेगा के अन्तर्गत पौधा रोपण के लिये गडढे खोदते है। जिनमें हर वर्ष लाखो पौधे रोपित किये जाते है आखिर वन भूमि में रोपित ये लाखो पौधे हर वर्ष कहा गुम हो जाते है। क्या कागजो पर गडढे खुदवाये जाते और वृक्षारोपण किया जाता है। करोड़ो की लागत से रोपित किये गये पौधे जीवित है या खत्म हो गये ? रोपित हुए थे या नहीं ? ये न कोई देखने वाला है और न बताने वाला। इस संदर्भ में महेशपुर रेंज से कई बार जानकारी के प्रयास किये गये लेकिन वन रक्षक से लेकर रेंजर तक जानकारी देने से कतराते नज़र आते। जो ये साबित करता है कि पूरे वन रेंज की हर वीट में वृक्षारोपण के नाम पर करोड़ो का खेल खेला गया।
वन विभाग के बाद वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाने की जिम्मेदारी विकास विभाग यानि क्षेत्र के दोनो ब्लाको पर आती है। जो बड़े स्तर पर ग्राम सभाओ में ग्राम समाज भूमि, चारागाह, स्कूल आदि भूमि पर समारोह पूर्वक वृक्षारोपण कराया जाता रहा। जिस पर विकास विभाग ने इस बीते चार वर्षो में पचासो लाख रूपया खर्च किया और लाखो पौधे रोपित कराये जो लगने के साथ ही खत्म होते गए और सरकार का लाखो रूपया पानी की तरह अधिकारियो ने बहा दिया या गबन कर लिया। मोहम्मदी ही ब्लाक की ग्राम सभाओ में कुछ माह पूर्व रोपित किया गया लाखो पौधो में से सौ दो सौ पौधे नहीं है। क्या पौधे रोपित भी किये गये थे या सिर्फ ढिढोरा पीटकर कागजो पर वृक्षारोपण दिखा लाखो का गबन कर लिया गया ? क्या फर्जी वृक्षारोपण के ही कारण फारेस्ट कवर में भारी गिरावट आई।
भारतीय वन सर्वेक्षण की वर्ष 2018-19 की रिपोर्ट की माने तो हर वर्ष लाखो पेड़ रोपित किये जाने के उपरान्त भी 0.94 वर्ग किमी हरियाली का दायरा घट गया है। जबकि वर्ष 2017-18 में फारेस्ट कवर 24 वर्ग किमी घटा था। इसके दो कारण हो सकते है पहला वन विभाग एवं पुलिस के संरक्षण में अंधा-धुन्ध हरे-भरे बागो सहित अन्य प्रजाति के पेड़ो का कटान दूसरा फर्जी वृक्षारोपण कर करोड़ो रूपयो का गबन किया जाना। हर वर्ष लाखो पौधो का वृक्षारोपण कराये जाने के उपरानत भी फारेस्ट कवर का एरिया घटना ये साबित करता है कि वृक्षारोपण के सभी विभागो के आकड़े फर्जी है और हर वर्ष करोड़ो रूपयो का गबन किया गया। जो जांच के योग्य विषय है। मगर जांच और कार्यवाही कौन करेंगा, जहां ‘‘हमाम में सब नंगे हो ’’।

मोहम्मदी से मो0 इलियास की रिपोर्ट

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