अधिकारी, खादी धारी व लकड़ी माफिया की तिगड़ी ने 130 पेड़ो को चुप-चुपाते की नीलामी


मोहम्मदी-खीरी। नलकूप विभाग का डाकबंगला जो आज अपने मृतशैय्या पर पड़े विभाग की भाति ये डाकबंगला भी भुतहा होता जा रहा है। इस डाक बंगला प्रांगण में पचासो लाख रूपयो कीमत के खड़े एक-एक लाख रूपये कीमत वाले सागौन एवं पचास हजार कीमत वाले आम एवं विशालकाय यूक्लेप्टिस के 130 पेड़ो को विभाग के उच्चाधिकारी एवं लकड़ी माफिया के द्वारा चुपचुपाते वन विभाग से मूल्यांकन कराकर व्यक्ति विशेष को बेचने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। गुप-चुप तरीके से इन 130 पेड़ो को बेचने की प्रक्रिया गोपनीय रखने के बाद भी उजागर हो गयी। तो कई लकड़ी कारोबारियो एवं अन्य कुछ लोगो के द्वारा विरोध शुरू हो गया। ग्राम पाण्डेवारी के एक व्यक्ति ने जन सूचना अधिकारी के तहत नलकूप विभाग के अधिशाषी अभियन्ता से जानकारी चाही है कि इन पेड़ो की नीलामी के लिये कब और किस समाचार पत्र में सूचना प्रकाशित करायी गयी, कब नीलामी हुई और सागौन, यूक्लेप्टिस आदि पेड़ो को कितने मूल्यों के बेचे गये ?
सरकारो की उपेक्षा एवं अधिकारियो की भ्रष्ट एवं कमाऊ-खाऊ नीत के चलते किसानहित वाला महत्व पूर्ण विभाग जो मृतशैय्या पर पहुंच गया ‘‘नल कूप विभाग’’ जिसमें कभी जिलेदार, अमीन एवं नलकूप चालको की फौज रहती थी। सरकारी नलकूपो के विद्युत मोटरो आदि की मरम्मत का वर्कशाप और अवर अभियन्ता आदि का स्टाफ रहता था। विभाग का डाक बंगला जो कभी मोहम्मदी की शान होता था जिसमें स्वर्गीय बाबा जय गुरूदेव सहित मुख्यमंत्री, तमाम मंत्री विश्राम एवं रात्रिवास कर गये। स्थानीय विधायक बंशीधर राज हमेशा इसी डाक बंगले में अपना दरबार लगाते थे। इस डाक बंगला प्रांगण में आम, आवला, सागौन, शीशम एवं बीसियो वर्ष पुराने विशालकाय यूक्लेप्टिस के सैकड़ो पेड़ खडे थे। जो पेड़ गिरा वो अधिकारियो-कर्मचारियो की साठ-गंाठ से गायब होते गए तमाम शीशम, सागौन एवं यूक्लेप्टिस के पेड़ बीते वर्षो में चोरी से गायब हो गए। सरकार की उपेक्षा एवं अधिकारियो का विभाग को दीमक की तरह चाटने के कारण मोहम्मदी का ही नहीं पूरे जिले में विभाग मृतश्यया पर पहुंच गया। जिलेदार, अमीन सब खत्म हो गये नलकूप चालको की फौज घटकर चन्द रह गयी। एक एसडीओ के पास कई-कई तहसील क्षेत्रो का चार्ज पहुंच गया। परिणाम स्वरूप यहां कोई अधिकारी नहीं रह गया। एक छोटे से कमरे वाले कार्यालय में मोहम्मदी का भारी भरकम नलकूप विभाग सिमट कर रह गया। डाक बंगला रख-रखाव के आभाव में जर्जर हो ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच कर ‘‘भूत बंगला’’ बन गया। जहां असमाजिक तत्व रात में प्यास बुझाते है। इसी डाक बंगला प्रांगण में लगे सागौन, आवला एवं यूक्लेप्टिस के पेड़ो को अधिकारियो के द्वारा चुप-चुपाते बेचने का षडयंत्र रचा गया। गत वर्ष 2019 की शुरूआत में ही पचासो लाख रूपये कीमत के इन पेड़ो को चुपचुपाते कटवाने के षडयंत्र पर सरकारी कार्यवाही शुरू हुई। जून 2019 के अन्तिम सप्ताह में वन विभाग से चुपचुपाते कुल 130 के अन्तिम सप्ताह में वन विभाग से चुप चुपाते कुल 130 पेड़ो का मूल्याकंन कराने का पत्र लिखा गया 10 जुलाई 2019 को नलकूप विभाग ने मोहम्मदी-महेशपुर वन रेंज आफिस में ‘‘पुस्तक संख्या 4347 क्रम संख्या 054 रसीद पर रूपये 3900 जमाकर मूल्याकंन शुल्क रसीद कटवाई। जिससे वन विभाग को सागौन के 46, आवले का एक तथा 83 यूक्लेप्टिस के पेड़ो का मूल्याकंन करना था। जो उसने करके विभाग को दे दिया। यहां के लकड़ी कारोबारियो की माने तो डाक बगला प्रांगण में खड़े सागौन के एक-एक पेड़ की कीमत एक लाख से डेढ लाख रूपये तक और  यूक्लेप्टिस के एक-एक पेड़ की कीमत 50 और 75 हजार से कम नहीं है। इन लोगो के मूल्याकन को ही अगर सही मान लिया जाये तो सागौन के पेड़ 50 लाख से अधिक कीमत के और यूक्लेप्टिस के पेड़ भी साढ़े चार लाख के आस-पास कीमत रखते है। अंदाजन 60 लाख रूपयो के ये पेड़ विभाग के अधिकारी चुप-चुपाते क्यो बेचना चाहते है। इनकी नीलमी कब हुई, कहा हुई, किस-किस समाचार पत्र में नीलामी की सूचना प्रकाशित करायी गयी, कब करायी गयी, बोली के समय कितने ठेकेदार शामिल हुए। इसकी कोई जानकारी स्थानीय कार्यालय पर मौजूद ‘‘बाबू जी’’ को नहीं थी। पूछने पर उन्होने बताया कि हमे कोई जानकारी नहीं है आप साहब से जानकारी करे। जब बाबू जी के द्वारा दिए गये मोबाइल नम्बर 9454414260 पर इन पचासो लाख रूपयो के पेड़ो की नीलामी की जानकारी चाहने के प्रयास किये गये तो कई बार की ट्राई के बाद फोन उठा भी तो अभी व्यस्त है बाद मे बात करे कह कर फोन काट दिया गया। जिस कारण विभाग के साहब से उनका पक्ष भी नहीं पता लग सका और न इन पेड़ो की तथा कथित नीलामी प्रक्रिया की जानकारी हो सकी।  सूत्रो की माने तो इन पेड़ो की नीलामी में विभाग के अधिकारियो एवं सत्ता से जुड़े व्यक्ति विशेष एवं एक लकड़ी माफिया की तिगड़ी ने षडयंत्र रचकर 60 लाख से अधिक कीमत रखने वाले ये पेड़ औने-पौने दामो में कथित रूप से चुप-चुपाते ही नीलाम कर दिये गये। यहां के ग्राम पाण्डेवारी के एक व्यक्ति ने सूचना के अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत सूचना मांगी है। पेड़ कटान होने से पूर्व सूचना प्राप्त हो सकेगी ? ऐसा सम्भव नहीं दिखता।

मोहम्मदी से मो0 इलियास की रिपोर्ट

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