गोला गोकर्णनाथ-खीरी। निकटवर्ती ग्राम कंजा स्थित हनुमान मंदिर परिसर में
चल रही श्रीमद् भागवत के तीसरे दिन प्रकृति सबकी पालक है प्रकृति फलदायक है। फल
लगे पेड़ों पर हम पत्थर मारते हैं जिसके बदले में वे हमें फल देते हैं। भानपुर
मध्यप्रदेश से आए युवाचार्य स्वामी ज्ञानानंद ने पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने का
संदेश देते हुए श्रद्धालुओं से धर्म पालन की सीख दी।
श्री हनुमान मंदिर के स्वामी विश्वात्मानंद सतसंग स्थल हाल में उन्होनें
अपने प्रवचन में कहा कि मरना उसका श्रेष्ठ है जिसका पुनर्जन्म न होएऐसी गति पाने
के लिए सतकर्म करते रहे और सत्य कार्य के लिए कभी मना न करें।
भगवान के 12 रूप में अवतार लेने की जरूरत पर उन्होने बताया कि असुर
हिरणाकश्यप ने धरती का हरण कर गंदगी में छिपा दिया था जिसे गंदगी से निकालने के
लिए भगवान को शूकर रूप धारण करना पड़ा जबकि विश्व कल्याण के लिए उन्हे बार बार
अवतार लेने पडे।
कथा के अत में सेवादार राजेश गुप्ता, अवधेश जायसवाल, रामकुमार पांडे, केके
पांडेय ने व्यासपीठ की आरती कर प्रसाद वितरित किया। इस मौके पर मुकेश राठी,महेश
पटवारी सहित तमाम श्रद्धालू मौजूद रहे।
गोला गोकर्णनाथ से श्याम मोहन शुक्ला की रिपोर्ट
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