निघासन-खीरी। तहसील क्षेत्र के गांवों में सफाई व्यवस्था केवल कागजों में
सीमित होकर रह गई है, दो दिन से हो रही हल्की बारिश के कारण गांव बन गए हैं मिनी
तालाब। नालियाँ चोक होने के कारण बारिश का पानी घरो में भर गया है जिससे लोगों को
अपने घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।
एक तरफ जहां स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने झाड़ू उठा लिया हो मगर इसका असर गांवो व कस्बों में देखने को बिलकुल नहीं
मिल रहा है जिससे नालियों व कूडो के ढेर दिखाई पड़ रहे है जहां पर कूड़ों के ढेर हो
जाते है वहां का माहौल काफी खराब दिखाई पड़ता है और वहाँ पर फैली गंदगी आसपास का
वातावरण भी प्रदूषित करती है।
इसके कारण मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियां पैदा हो जाती है और वहां पर रहने
वाले लोगों को इन बीमारियों का शिकार होना पड़ता है। सरकार ने सफाई का जिम्मा जिन
लोगों को सौंपा है वो अपने घरों में सोयें हुए है जिससे इसकी सजा गरीब जनता को मिल
रही है और सफाई कर्मी सरकारी पैसो से मजे काट रहे है।
क्षेत्र में अधिकांश लोगों को ये तक नहीं पता की हमारे क्षेत्र का सफाई
कर्मी कौन है ऐसा इसलिए है क्योंकि सफाई कर्मी अपने अपने घरों से निकलते ही नहीं
है जिससे सफाई कर्मियों के झाड़ू भी अपनी दशा पर आंसू बहाते है। अगर सफाई कर्मी
अपने अपने क्षेत्र की सफाई कर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाने लगे तो भारत को स्वच्छ
भारत होने से कोई नहीं रोक सकता।
मगर शासन प्रशासन का इस पर बिलकुल ध्यान नहीं अगर कोई अधिकारी इन गांवों
का भ्रमण करे तो इन सफाई कर्मियों की पोल खुल जाये और फिर सफाई सही से होने लगे
मगर कोई अधिकारी भी क्षेत्र की सफाई और सफाई करने वाले सफाईकर्मियों पे कोई ध्यान
नहीं दे रहे है जिससे सफाईकर्मियों के हौसले बुलंद है।
निघासन से विनोद गुप्ता की रिपोर्ट
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