लखीमपुर-खीरी। बाली उमरिया खीरी जिले मे गजब ढा रही है। किशोरवय लड़कियों
में चंद मुलाकात के बाद ही किसी बेगाने की खातिर अपनों को छोड़ने की प्रवृत्ति तेजी
से बढ़ रही है, जिसके तमाम घातक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
शहर समेत जिले भर में किशोरियों के घर से भागने की स्थिति आम बात हो गई
है। थानों के रिकॉर्ड इसी तरह की शिकायतों से भरे पड़े हैं। पुलिस सूत्रों की माने
तो पूरे जिले में औसतन तीन बालाएं रोज प्रेमी संग फरार हो रही हैं जबकि औसतन एक
रिपोर्ट रोज दर्ज हो रही है।
हर मामले में पहले पुलिस, अभिभावकों को अच्छे-बुरे की नसीहत देकर खुद
किशोरी को खोजने के लिए कहती है। हालांकि पुलिस किसी मजबूत पैरवी की वजह से दबाव
बढ़ने या किसी खास उम्मीद पर बहला-फुसलाकर ले जाने की रिपोर्ट दर्ज कर लेती है।
लड़की पक्ष का जोर होता है कि उनकी बेटी को नाबालिग ही दिखाया जाए।
पुलिस भी आरोपी पक्ष के लोगों को कई दिन तक थाने में बैठा लेती है, अक्सर
पीड़ित पक्ष की उपलब्ध कराई गाड़ी से पुलिस गैर प्रांत तक युगल की तलाश में दबिश
देती है। हालांकि भविष्य की स्थिति लड़की की बरामदगी, उसकी मेडिकल रिपोर्ट और कोर्ट
में दिए गए बयान पर निर्भर होती है। आंशिक मामलों में ही किशोरियां बाद में घर आ
पाती हैं और युवक से नाता तोड़ लेती हैं बाकी किशोरियां अपनी जिंदगी प्रेमी के साथ
गुजारना पसंद करती हैं।
इस पर क्या कहते हैं समाजशास्त्री.....
समाजशास्त्री मोहयुददीन अंसारी का मानना है कि टीन एजर्स के हाथ लगे
मोबाइल और इंटरनेट की रंगीली दुनिया ने यह दिन दिखाया है कि ज्यादातर अभिभावकों को
पता नहीं रहता कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं। बच्चों से संवादहीनता की वजह से भी
यह विसंगति हुई है। अभिभावकों को चाहिए कि वह बड़े हो रहे बच्चों से कुछ हद तक
दोस्ताना व्यवहार करें। उनकी दिक्कतें सुनें तथा पसंद-नापसंद पूछें।
आजकल गर्ल फ्रेंड और ब्वाॅय फ्रेंड रखना स्टेटस सिंबल बन रहा है। कुछ
मुलाकातों में ही टीन एजर्स अपने परिवार की प्रतिष्ठा भूलकर साथी को सब कुछ मान
लेते हैं जिसके चलते भविष्य में वह इसका खामियाजा भी उठाते हैं।
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी......
इस सम्बन्ध मे पुलिस क्षेत्राधिकारी निघासन, इब्राहिम का कहना है कि
सामाजिक बदलाव और आधुनिक परिवेश में पली युवा पीढ़ी के भटकाव से यह स्थिति पनपी है।
पुलिस इस पर रोकथाम नहीं लगा सकती है लेकिन नाबालिग लड़कियों के संबंध में शिकायत
मिलने पर उन्हें खोजने का काम प्राथमिकता से किया जाता है, फिर कोर्ट उनके बारे
में निर्णय लेता है।
लखीमपुर-खीरी के सिंगाही से मसरुर खान की रिपोर्ट
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