लखीमपुर-खीरी।
कुछ समय तक शांत रहने के बाद एक बार फिर से शारदा ने तेवर कड़े कर लिए हैं। पहाड़ों पर
हुई बारिश व बनबसा डैम से वाटर डिस्चार्ज में बढ़ोत्तरी के परिणाम स्वरूप नदी तेजी से
खतरे के निशान की ओर बढ़ रही है।
नदी के इस
रूख से सबसे ज्यादा संकट बाढ़ पीड़ितों को झेलना पड़ा है, जो अपने घरों से दूर हैं। सड़क
किनारे बसे ऐसे लोगों को नदी का जलस्तर बढ़ने से घर लौटने की उम्मीद टूटती सी नजर आ
रही है। ज्ञात हो कि बीती 17 जुलाई को शारदा का जलस्तर बढ़ा था तो पलिया तहसील क्षेत्र
का पूरा इलाका बाढ़ की गिरफ्त में आ गया था। दर्जनों गांवों के साथ-साथ पलिया-लखीमपुर
मार्ग भी तीन दिनों तक भीषण जलभराव की चपेट में आकर बंद रहा था।
हालात सामान्य
होते होते पूरा सप्ताह गुजर गया। इधर धीरे-धीरे गांवों में भी हालात बेहतर होने लगे
थे। जिससे अपने घरों से दूर इधर-उधर सड़कों के किनारे डेरा डाले बाढ़ पीड़ितों को उम्मीद
बंधी थी कि अब वे जल्द अपने घर लौटेंगे लेकिन उनकी इस उम्मीद को तगड़ा झटका लगा है।
दरअसल पहाड़ों पर हुई बारिश के चलते नदी ने फिर उफान मारना शुरू कर दिया है।
ग्राम आजादनगर, बर्बादनगर आदि गांवों के ग्रामीण
बाढ़ के समय अपने घरों को छोड़कर नदी के पास ही पलिया-लखीमपुर सड़क मार्ग के किनारे आकर
बस गए थे। तब से वे कड़ी धूप और प्रशासनिक उपेक्षा झेलते हुए जैसे तैसे दिन काट रहे
हैं।
बाढ़ पीड़ितों
ने बताया कि शुरूआत में एक दो दिन प्रशासन ने लंच पैकेट मुहैय्या कराए थे, उसके बाद
तो मानो हर कोई उन्हें भूल गया। उम्मीद थी कि नदी कुछ शांत होगी तो घर लौट जाएंगे,
लेकिन अब उसके आसार भी न के बराबर ही हैं।
Post a Comment